देश का तीसरा बड़ा फूल उत्पादक राज्य बना मध्यप्रदेश, जल्द ही बनेगा देश का सिरमौर

ब्यूरो रिपोर्ट मध्यप्रदेश / पंचायत इंडिया न्यूज़

भोपाल। मध्यप्रदेश में फूलों का कारोबार बढ़ने के साथ ही उत्पादन भी जोर पकड़ रहा है। बीते वर्ष पांच लाख 12 हजार 914 टन उत्पादन हुआ। इसी के साथ मध्यप्रदेश फूलों के उत्पादन में तीसरा बड़ा राज्य बन गया। इनमें कई किस्म के फूल शामिल हैं। फूलों की खेती प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी सहायक बन रही है। इस उपलब्धि के पीछे केंद्र व राज्य के प्रयास तो है ही, साथ ही कैश क्रॉप भी अहम है। खासकर छोटी जोत वाले किसान, जिनके पास एक-दो एकड़ या तीन एकड़ जमीन है, वे फूल उत्पादन से अच्छा लाभ कमा रहे हैं।

प्रदेश में प्रमुख रूप से उत्पादित किए जाने वाले फूलों में गेंदा, गुलाब, सेवन्ती, ग्लेडूलस, रंजनीगंधा तथा औषधीय पुष्पों में ईसबगोल, अश्वगंधा, सफेद मूसली और कोलिक्स है। सर्वाधिक उत्पादन क्षेत्र गेंदा का है। किसान 24,214 हेक्टेयर में खेती कर रहे हैं। दूसरे स्थान पर गुलाब का रकबा 4,502 हेक्टेयर और तीसरे पर सेवंती है। इसका रकबा 1,709 हेक्टेयर है। चौथे पर ग्लेडूल्स 1,058 हेक्टेयर, पांचवें पर रंजनीगंधा 263 हेक्टेयर सहित अन्य फूलों की खेती 11,227 हेक्टेयर में की जा रही है। प्रदेश में फूलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 15.01 टन है।

मध्यप्रदेश में फूलों का कारोबार
27.71 लाख हेक्टेयर है प्रदेश में उद्यानिकी का रकबा, 42,978 हेक्टेयर में फूलों की खेती होती है।, 86,294 टन बढ़ा है फूलों का उत्पादन बीते चार वर्ष में।

मध्यप्रदेश में उत्पादित फूलों की मांग देश के महानगरों के साथ विदेश में भी है। गुना जिले के गुलाब की महक जयपुर, दिल्ली, मुंबई के बाद अब पेरिस और लंदन में भी पहुंच रही है। भोपाल की ग्राम पंचायत बरखेड़ा बोदर की लक्ष्मीबाई कुशवाह धान, गेहू, सोयाबीन की खेती छोड़ गुलाब, जरबेरा और गेंदा का उत्पादन कर हर महीने तीन से चार लाख कमा रही हैं। अधिकारियों के अनुसार 2024-25 में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र में 14,438 हेक्टेयर का विस्तार हुआ है। फूलों का रकबा 5,329 हेक्टेयर बढ़ा है। उत्पादन को प्रोत्साहित करने में हाईटेक नर्सरी, किसानों को तकनीकी जानकारी दी जा रही है। केंद्र के सहयोग से ग्वालियर जिले में 13 करोड़ से हाईटेक नर्सरी विकसित की जा रही है।

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