भिंड और टीकमगढ़ में खाट पर दिखा हेल्थ सिस्टम, नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस, प्रसूता व मरीज को मिला चारपाई का सहारा

ब्यूरो रिपोर्ट मध्यप्रदेश / पंचायत इंडिया न्यूज़

भिंड/टीकमगढ़। मध्यप्रदेश में सोमवार को दो ऐसे मामले सामने आए, जिन्हें देखकर लगता है कि कई गांव ऐसे हैं, जहां अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. राज्य में दो अलग-अलग जिलों के दो गांव से मार्मिक तस्वीर आई है. एक, गांव के लोग प्रसूता को चारपाई पर डालकर एंबुलेंस की ओर जा रहे हैं. यहां तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पा रही है. दूसरे गांव में मरीज को परिजन चारपाई पर डालकर ले जा रहे हैं, ताकि एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जा सके. राज्य में कई ऐसे इलाके हैं, जहां अभी तक सड़क भी नहीं पहुंच पाई है.

दरअसल, भिंड जिले के लहार विधानसभा के बड़ोखरी गांव के परिहार मोहल्ले में करीब 25 परिवार रहते हैं, लेकिन गांव के इस हिस्से तक पक्की सड़क नहीं है. बरसात में हालात और बदतर हो जाते हैं, क्योंकि पूरे गांव का पानी इसी मोहल्ले में भरता है. इससे रास्ता कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से सड़क निर्माण के लिए आवेदन और शिकायत कर रहे हैं.

सीएम हेल्पलाइन पर भी बार-बार शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. गांव की चंचल बाई (24) पत्नी अंगदसिंह वाल्मीकि को रविवार को प्रसव पीड़ा हुई. परिजनों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस दो घंटे बाद पहुंची और खराब रास्ते के कारण गांव के भीतर नहीं जा सकी.

मजबूरी में परिजनों और ग्रामीणों ने महिला को चारपाई पर लिटाया और पांच सौ मीटर कीचड़ भरे रास्ते से उठाकर पक्की सड़क तक लाए, जहां एंबुलेंस खड़ी थी. महिला की डिलीवरी घर पर ही हो चुकी थी और नवजात बेटे के साथ उसे स्वास्थ्य जांच के लिए लहार सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया.

इधर लहार एसडीएम विजय यादव ने मामले को गंभीरता से लिया है और जनपद सीईओ को तलब कर जवाब मांगा है। उनका कहना है, “गांव में विकास कार्यों की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है. सरपंच और सचिव को बताना होगा कि आखिर इतने वर्षों में यहां सड़क क्यों नहीं बनी? किसकी लापरवाही से महिला और नवजात को खतरे में डालना पड़ा?”

इसके अलावा टीकमगढ़ जिला अंतर्गत जतारा विधानसभा क्षेत्र के जेवर गांव के लोग आज भी कच्ची पगडंडियों पर चलने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को सड़क निर्माण की मांग की जा चुकी है, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. गांव में सड़क नहीं होने के कारण एक बीमार व्यक्ति को परिजन चारपाई पर लादकर काफी दूर तक पैदल चलकर मुख्य सड़क तक लाए, ताकि उसे किसी वाहन से अस्पताल पहुंचाया जा सके. यह घटना सिर्फ एक मरीज की नहीं, बल्कि उस पूरे क्षेत्र की उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है.

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