महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति या अन्य रिश्तेदारों के प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सख्त, राज्यों को भेजा समन

नई दिल्ली डेस्क। पंचायत इंडिया न्यूज़

नई दिल्ली। पंचायत राज संस्थानों एवं शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षित पदों यानी महिला जन प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति या अन्य रिश्तेदारों के प्राक्सी प्रतिनिधित्व पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।

आयोग के नोटिस का जवाब न दिये जाने और कार्रवाई रिपोर्ट न भेजने पर आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पंचायती राज एवं शहरी निकायों के प्रधान सचिवों को आयोग के समक्ष पेश होने का सशर्त समन जारी किया है।

एनएचआरसी ने जारी आदेश में कहा है कि अगर राज्य 22 दिसंबर तक आयोग को प्राक्सी प्रतिनिधित्व के बारे में कार्रवाई रिपोर्ट दे देते हैं तो उन्हें आयोग के समक्ष पेश होने से छूट मिल जाएगी और अगर 22 दिसंबर तक कार्रवाई रिपोर्ट नहीं आयी तो अधिकारियों को 30 दिसंबर को सुबह 11 बजे कार्रवाई रिपोर्ट के साथ आयोग के समक्ष पेश होना होगा।

जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को सशर्त सम्मन जारी हुआ है उनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिमबंगाल, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादर नागर हवेली, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुद्दूचेरी हैं।

हालांकि आंघ्र प्रदेश, बिहार, ओडीशा, और उत्तराखंड ने आयोग को रिपोर्ट भेज दी थी जबकि उत्तर प्रदेश के पांच शहरों, बिजनौर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, सीतापुर और शामली का जवाब आयोग को मिल चुका है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य सुशील वर्मा की प्राक्सी प्रतिनिधित्व का गंभीर मसला उठाने वाली शिकायत पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश जारी किए हैं।

वर्मा ने एनएचआरसी को भेजी शिकायत में कहा है कि देश भर में कई स्थानों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति अथवा अन्य पुरुष रिश्तेदार वास्तविक सत्ता का प्रयोग कर रहे हैं। जो कि संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों और महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के भी एक आदेश का हवाला दिया गया था।

शिकायत में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के रिश्तेदारों की अनौपचारिक नियुक्ति का मुद्दा भी उठाया गया था। इस शिकायत पर आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में हुई बैठक में संज्ञान लिया गया और आयोग ने 9 सितंबर 2025 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव शहरी स्थानीय निकाय विभाग व प्रधान सचिव पंचायती राज को नोटिस जारी किया और इस विषय पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी।

जिसमें यह बताना था कि उनके यहां प्राक्सी प्रतिनिधित्व की प्रथा खतम करने के लिए क्या उपाय किये गए। जब चार सप्ताह में रिपोर्ट नही आयी तो आयोग ने रिमाइंडर भेजा। रिमाइंडर के बाद कुछ राज्यों के कुछ शहरों के बारे में रिपोर्ट आयोग को प्राप्त हुई लेकिन ज्यादातर जगह की रिपोर्ट नहीं मिली जिसके बाद आयोग ने ये सशर्त समन जारी किये।

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