भोपाल से दीपेश वर्मा की रिपोर्ट। पंचायत इंडिया न्यूज़ भोपाल। राजधानी की बड़ी झील सहित मप्र के बड़े जलाशयों और नदियों के पानी की क्वालिटी की अब रोजाना ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए इनमें वॉटर क्वालिटी मापक संयंत्र लगाए जाएंगे। नर्मदा में शाहगंज सहित पांच स्थानों पर लगाए गए वॉटर क्वालिटी संयंत्र के बेहतर परिणाम आने के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है। इनकी रिपोर्ट के आधार पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नदी और तालाबों की मॉनिटरिंग करेगा। फिलहाल भोपाल की बड़ी झील और शाहपुरा लेक के अलावा इंदौर के यशवंत सागर, मंदाकिनी, बेतवा, चंबल, कान्ह, शिप्रा में ये संयंत्र लगाए जाएंगे। ऑनलाइन मॉनिटरिंग के दौरान पानी की गुणवत्ता अगर एकदम से बदल जाती है, तो मौके पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी पहुंचकर उसकी जांच करेंगे।
नर्मदा नदी में 51 जगह संयंत्र लगाने की योजना : नर्मदा नदी में जल गुणवत्ता मापक संयंत्र अमरकंटक, डिंडोरी, होशंगाबाद, ओंकारेश्वर सहित पांच जगहों पर लगाए गए हैं। नए साल में 5 और स्थानों-बर्मन घाट, नेमावर, हनुवंतिया, महेश्वर और राजघाट में भी ये संयत्र लगाए जाएंगे। नर्मदा नदी में 51 स्थानों पर संयंत्र लगाने की योजना है।

ये होगा फायदा : नदियों को निर्मल बनाने का प्रयास चल रहा है। इस संबंध में नगरीय निकायों, पंचायतों को सीवेज के पानी को नदी में छोडने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। उद्योगों को भी गंदा पानी नदियों में बहाने पर प्रतिबंधित किया गया है। इसकी मॉनिटरिंग एनजीटी सीधे तौर पर कर रही है। सरकार की योजना 2028 तक नदियों को निर्मल करने की है। वॉटर क्वालिटी संयंत्र लगने से एनजीटी और आम जनता एयर क्वालिटी की तर्ज पर पानी की गुणवत्ता का भी आकलन कर सकेगी। इससे अधिकारी रिपोर्ट में हेराफेरी कर एनजीटी अथवा सरकार को गुमराह नहीं कर पाएंगे। जल गुणवत्ता मापने के लिए कई नदियों, तालाबों और जलाशयों में संयंत्र लगाए जा रहे हैं।
नदियों की जल गुणवत्ता श्रेणियां
ए श्रेणी (उत्कृष्ट): सामान्यत: उद्गम स्थल पर, जैसे मंदाकिनी और सोन नदी ।
बी श्रेणी (अच्छा): नर्मदा, पार्वती, तमसा। सी श्रेणी (औसत/प्रदूषित): चंबल, शिवना।
डी श्रेणी (प्रदूषित/मछली पालन योग्य): चंबल, परियात नदी सतना के पास।
ई श्रेणी (अत्यधिक प्रदूषित/सिर्फ सिंचाई योग्य): कान्ह नदी इंदौर के आसपास, परियात नदी।
