अनदेखी : अमिलिया कला ग्राम पंचायत में कीचड़ में गिरते-फिसलते स्कूल पहुंचते हैं बच्चे, गांव का 4 किलोमीटर का रास्ता पार करना कठिन

ब्यूरो रिपोर्ट मैहर / पंचायत इंडिया न्यूज़

मैहर। मैहर जिले के गांव अमिलिया गांव के लोगों की जीवनशैली असामान्य है. क्योंकि इस गांव के रास्ते को यहीं के ग्रामीण पार कर सकते हैं. बाहर के लोगों का यहां पहुंचना असंभव है, खासकर बारिश के मौसम में. ये रास्ता केवल यहीं के रहवासी पार कर सकते हैं. किसी अन्य गांव के शख्स में इतनी कला और हिम्मत नहीं कि वह यहां पैदल चलकर दिखा सके या फिर किसी भी वाहन से पहुंच सके.

अमिलिया ग्राम पंचायत का वार्ड क्रमांक 1 विकास की दौड़ से कोसों पीछे हैं. यहां का रास्ता कीचड़ से सराबोर है. ये 4 किलोमीटर का रास्ता पार करना इसी के गांव के लोगों के बस की बात है. मैहर जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी में स्थित अमिलिया पंचायत के रास्ते में पैदल चलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं. लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं. ग्रामीणों ने इस संबंध में कई बार अधिकारियों अवगत कराया. मगर कई साल बीत गए, किसी ने नहीं सुनी.

ग्रामीण कीचड़ ओर फिसलन भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं. रास्ता न होने की वजह से एंबुलेंस भी गांव के अंदर तक नहीं पहुंच पाती. गर्भवती महिलाओं के लिए और भी बड़ी समस्या है. यहां न तो न आशा कार्यकर्ता और न आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहुंचने का दुस्साहस कर पाती. इसी रास्ते से होकर बच्चे गिरते-फिसलते स्कूल जाते हैं. स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को जोखिम मोल लेना पड़ता है. हाथों में चप्पल लिए, कंधे पर स्कूल बैग टांगे बच्चे स्कूल की ड्रेस को कीचड़ को पार करते हैं.

गांव के लोगों ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से फाइल बनाकर अधिकारियों और कार्यालय के चक्कर काटना पड़ रहा है. मगर आज तक सड़क नहीं बन पाने से 25 से 30 घरों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.” इस मामले में मैहर जनपद पंचायत सीईओ प्रतिपल बागरी ने बताया “सड़क बनवाने का प्रस्ताव तैयार है. एसडीएम के पास फाइल पहुंची है. बारिश के बाद सड़क बनाने का काम शुरू होगा.”

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