स्पेशल रिपोर्ट / पंचायत इंडिया न्यूज़
भोपाल। मध्यप्रदेश में लागू ई-केवाईसी और फेस रिकग्निशन सिस्टम ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण आहार प्राप्त करना बेहद मुश्किल बना दिया है.इन महिलाओं को आंगनवाड़ी केंद्र से दलिया का एक पैकेट लेने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं और कई बार उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है. इसका मुख्य कारण यह है कि मां बनने के बाद उनके चेहरे में आने वाले शारीरिक बदलावों के कारण पोषण ट्रैकर ऐप पर उनका चेहरा मेल नहीं खाता. जिससे महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, मध्यप्रदेश में एक जनवरी 2025 से पोषण आहार के लिए ई-केवाईसी और चेहरा पहचान प्रणाली लागू हो गई है. इसके चलते गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण आहार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हर हफ्ते आंगनवाड़ी केंद्र जाकर पोषण ट्रैकर ऐप पर ई-केवाईसी करानी होती है. ऐसे में कई बार कैमरे के सामने खड़े होने पर भी चेहरा मैच नहीं करता. क्योंकि गर्भवती होने के बाद या बच्चा होने के बाद चेहरे में बदलाव आ जाता है, जिससे उन्हें पोषण आहार मिलने में काफी दिक्कत हो रही है.
बता दें कि इस सिस्टम के कारण कई महिलाएं बार-बार आंगनवाड़ी केंद्रों के चक्कर लगाने के बावजूद पौष्टिक आहार नहीं ले पाती हैं. पोषण ट्रैकर ऐप में चेहरा मिलान न होने के कारण ई-केवाईसी की प्रक्रिया में दिक्कत आ रही है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इस तकनीकी बाधा का सामना करना पड़ रहा है. कई बार कैमरे के सामने खड़े होने पर भी चेहरा नहीं मिल पाता, क्योंकि शादी के बाद या बच्चे होने के बाद चेहरे पर बदलाव आ जाते हैं. वहीं इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि यह योजना केंद्र सरकार की है,इसलिए यह समस्या केन्द्र के संज्ञान में लाई जा रही है.
(न्यूज़ सोर्स साभार : दैनिक भास्कर)
