भोपाल से दीपेश वर्मा की रिपोर्ट। पंचायत इंडिया न्यूज़
दमोह। मध्यप्रदेश के 14 जिलों में पंचायती चुनाव के विभिन्न पदों के लिए वोटिंग की तैयारी है, लेकिन इनमें से सिर्फ दमोह जिले को पेपरलेस चुनाव प्रक्रिया के लिए चुना गया है. इसके पहले भी दमोह में हो कुछ वार्डों में चुनाव हो चुके हैं. दमोह जिले के लिए यह दूसरा मौका है, जब यहां पर बड़े स्तर पर पेपरलेस चुनाव प्रक्रिया होने जा रही है. पेपरलेस इलेक्शन के लिए दमोह का ही चयन क्यों हुआ, कैसी होती है ये प्रक्रिया और क्या हैं इसके लाभ आइए जानते हैं.
दमोह जिले की हटा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गैसाबाद जनपद क्षेत्र के लिए 6 माह पूर्व पेपरलेस प्रक्रिया के तहत जनपद सदस्य का निर्वाचन किया गया था. लेकिन इस बार यह प्रक्रिया पहले से अलग है. क्योंकि इस बार सिर्फ दमोह में ही नहीं बल्कि प्रदेश की 14 जिलों में करीब 4000 पदों के लिए निर्वाचन होना है, लेकिन उन 14 जिलों में सिर्फ दमोह जिले को ही यह अवसर मिला है कि यहां पर पेपर लेस चुनाव संपन्न कराए जाएंगे.

मध्यप्रदेश के इन 14 जिलों में होना है चुनाव
मध्यप्रदेश में जिन चार जिलों में जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्वाचन होना है, उनमें दमोह के कुम्हारी, रीवा, शिवपुरी तथा आगर मालवा के लिए एक-एक पदों का निर्वाचन किया जाएगा. इसके अलावा जनपद सदस्यों के लिए मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, पन्ना, उमरिया, खरगोन, बड़वानी में एक-एक पद के लिए तथा शिवपुरी और सागर में दो-दो पदों के लिए जनपद सदस्य का निर्वाचन होगा. इसके अलावा सरपंच पद के लिए 57 तथा पंच पद के लिए 3872 क्षेत्र में वोटिंग की जाएगी.
दमोह जिले में 77 केंद्रों पर होगी पेपरलेस वोटिंग
इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने ईटीवी भारत को बताया “6 माह पूर्व पंचायत के लिए नौ मतदान केंद्रों पर पेपरलेस निर्वाचन कराया गया था. जो शत-प्रतिशत सफल रहा था. इसको देखते हुए इस बार फिर चुनाव आयोग ने पेपरलेस प्रक्रिया के लिए दमोह को जवाबदारी दी है. इसके तहत जिला पंचायत निर्वाचन के लिए इस बार 77 मतदान केंद्रों पर पेपर लेस मतदान कराया जाएगा. यह सभी केंद्र जिला पंचायत क्षेत्र के हैं.

दमोह कलेक्टर ने चुनाव तैयारी का लिया जायजा
दमोह कलेक्टर का कहना है “इसके लिए हमारी तैयारी पूरी हो गई. इन सभी मतदान केद्रों का निरीक्षण करके वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है. आईटी से संबंधित जो भी सामग्री है वह निर्वाचन आयोग हमें दे रहा है, कुछ चीजें हम यहां से ले रहे हैं. हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि नौ मतदान केंद्र के बाद सीधे 77 मतदान केंद्रों पर सफलतापूर्वक प्रक्रिया को पूरा किया जाए. निष्पक्ष और शांतिपूर्वक तरीके से निर्वाचन कराने में सफल होंगे.”
पेपरलेस चुनाव की कैसी होती है प्रक्रिया
भारत सरकार डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रही है. इसी क्रम को निर्वाचन आयोग आगे बढ़ा रहा है तथा पूरी प्रक्रिया को डिजिटल कर रहा है. निर्वाचन आयोग यह पूछता है कि कौन से जिला निर्वाचन अधिकारी पेपरलेस प्रक्रिया संपन्न कर सकते हैं? ऐसे में दमोह कलेक्टर ने इसे चैलेंज के रूप में लेते हुए पेपरलेस प्रक्रिया संपन्न कराने की प्रतिबद्धता जाहिर की. इसलिए इस प्रक्रिया में दमोह का चयन किया गया.
इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई पेपर नहीं होता है. पेपर पर हस्ताक्षर लेने की बजाय डिजिटल मशीन पर डिजिटल सिग्नेचर या अंगूठे के निशान लिए जाते हैं तथा ईवीएम के द्वारा ही वोटिंग और रिजल्ट घोषित किए जाते हैं. यह सारी चीजे ऑनलाइन होती हैं.

मतदाता भी सराह रहे पेपरलेस चुनाव
दमोह के स्थानीय निवासी हरीश राय कहते हैं “पेपरलेस निर्वाचन स्वागतयोग्य कदम है. इससे पर्यावरण को होने वाला नुकसान कम होगा. साथ ही देश और दुनिया एआई और तकनीक के दौर में है. ऐसे में हम भारतीय अभी तक पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं. इसके लिए हमें भी तकनीक की ओर बढ़ना चाहिए.”
आभूषण व्यवसायी गजेंद्र सोनी का कहना है “आज हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है. नई तकनीक आ रही हैं. ऐसे में हम भला पीछे क्यों रहें. पेपरलेस निर्वाचन निश्चित रूप से आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा. सुखद बात यह है कि इसके लिए दमोह का चयन किया गया है.”
देश में पेपरलेस चुनाव की शुरुआत मध्य प्रदेश से
मध्य प्रदेश में सबसे पहले पेपरलेस चुनाव भोपाल जिले के बैरसिया विकासखंड की ग्राम पंचायत रतुआ रतनपुर में सरपंच पद के लिए हुआ. ये उपचुनाव था. इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया गया. खास बात ये है कि पूरे देश में चुनाव आयोग पेपरलेस चुनाव कराने के लिए देशभर में नया प्रयोग कर रहा है.
