भोपाल से दीपेश वर्मा की रिपोर्ट। पंचायत इंडिया न्यूज़
भोपाल। भारत की 70% आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर आधारित परीक्षा केंद्र अपने गांव के आसपास ना होने की वजह से बड़े शहरों में जाना होता है. यात्रा और असुविधा की वजह से छात्र सही ढंग से परीक्षा नहीं दे पाते.
इसी कारण ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं का एडमिशन अच्छे कॉलेज में नहीं हो पाता. इसलिए गांव के आसपास 100 किलोमीटर के क्षेत्र में कंप्यूटर आधारित परीक्षा केंद्र बनाए जाएं. जबलपुर की सांसद सुमित्रा वाल्मीकि ने राज्यसभा में ये मांग उठाई.
प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं ग्रामीण छात्र
सांसद सुमित्रा वाल्मीकि ने कहा “12वीं की पढ़ाई के बाद हर बच्चा अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए एक न एक प्रतियोगी परीक्षा में जरूर बैठता है. इसमें नीट, आईआईटी जैसी परीक्षाओं के बाद अच्छे कॉलेज में एडमिशन होता है या सामान्य कॉलेज में एडमिशन के लिए भी इन परीक्षाओं में बैठना जरूरी हो गया है. इनके साथ ही नौकरियों के लिए भी परीक्षा होती है.”
ये सभी परीक्षाएं कंप्यूटर और इंटरनेट आधारित हो गई हैं. इनमें कंप्यूटर पर पेपर आता है और उसे कंप्यूटर पर ही हल करना होता है. ऐसी स्थिति में केवल कुछ बड़े शहरों में ही परीक्षा केंद्र बनाए जाते हैं. शहरी छात्रों के लिए तो ये केंद्र सहूलियत के होते हैं लेकिन दूरदराज गांवों में रहने वाले छात्रों के लिए इन केंद्रों तक पहुंच कर परीक्षा देना दूसरी बड़ी परीक्षा होती है.
राज्यसभा में सांसद सुमित्रा वाल्मीकि में बताया “गरीब छात्र-छात्राओं को दो 300 किलोमीटर दूर परीक्षा देने जाना पड़ता है. इसमें कई छात्र-छात्राएं ऐसी भी हैं जिनके पास परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के पैसे नहीं होते. ऐसी स्थिति में उनके परिजन कर्ज लेते हैं. छात्र-छात्राओं को रेलगाड़ी में रिजर्वेशन नहीं मिलता. जनरल के डिब्बो में भेड़-बकरी की तरह भरकर इन्हें परीक्षा केंद्र तक जाना होता है.”
गरीब बच्चों के पास नए शहर में रुकने की जगह नहीं होती. इसलिए अक्सर ऐसे बच्चों को हमने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के पास सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करते हुए देखा है. ऐसी स्थिति में बच्चा परीक्षा देने की स्थिति में नहीं होता.
सुमित्रा वाल्मीकि का कहना है “ग्रामीण इलाकों के बड़े स्कूलों में और जनपद पंचायत में भवन बनकर कंप्यूटर आधारित परीक्षा केंद्र बनाए जाने चाहिए, जिनमें प्रतियोगी परीक्षाओं के केंद्र बन सकें.” सुमित्रा वाल्मीकि ने कहा “यह मुद्दा शिक्षा विभाग तक पहुंचेगा. उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस विषय में कोई ना कोई फैसला जरूर लेगी. ज्यादा से ज्यादा 100 किलोमीटर के एरिया में परीक्षा केंद्र होना चाहिए.”
