ब्यूरो रिपोर्ट डिंडोरी। पंचायत इंडिया न्यूज़
डिंडोरी। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले में ‘एक बगिया मां के नाम’ अभियान के क्रियान्वयन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। भाजपा से जुड़े जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते ने इस महत्वाकांक्षी सरकारी अभियान में गंभीर अनियमितताओं और लगभग 14 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जबकि दूसरी ओर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिव्यांशु चौधरी ने अध्यक्ष पर कार्यालय में गाली-गलौज करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। मामला अब प्रशासनिक टकराव और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच घिरता नजर आ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश सरकार ने ‘एक बगिया मां के नाम’ अभियान लागू किया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर 5 जुलाई 2025 को जारी परिपत्र में सभी जिलों को 15 सितंबर तक व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। शासन की गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया था कि पौधों की खरीदी स्वयं सहायता समूहों की दीदियों द्वारा की जाएगी, वही पौधारोपण, फेंसिंग और जलकुंड निर्माण की जिम्मेदारी भी निभाएंगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते का आरोप है कि डिंडोरी जिले में इस अभियान को तय समय-सीमा में शुरू ही नहीं किया गया। पौधों की खरीदी नवंबर माह में वेंडरों से की गई और दिसंबर में वृक्षारोपण कराया गया, जो शासन के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। परस्ते के अनुसार जब उन्होंने विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया तो वहां बिना जड़ वाले, सूखे और लगभग मृत पौधे लगाए गए पाए गए। सबसे गंभीर आरोप यह है कि जहां हितग्राहियों द्वारा पौधे खरीदने का प्रावधान था, वहां सीधे वेंडरों से पौधे खरीदे गए।
इस पूरे मामले को लेकर रूदेश परस्ते ने 16 दिसंबर 2025 को डिंडोरी कलेक्टर को पत्र लिखकर लगभग 14 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की शिकायत की। कलेक्टर ने मामले को गंभीर मानते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत सीईओ दिव्यांशु चौधरी को आपस में बैठकर चर्चा करने के निर्देश दिए। इसके बाद 17 दिसंबर को सीईओ दिव्यांशु चौधरी ने स्वयं रूदेश परस्ते को फोन कर कार्यालय बुलाया।
जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि बैठक के दौरान उन्होंने एक बगिया मां के नाम अभियान में हुई कथित गड़बड़ियों का हवाला देते हुए भुगतान पर तत्काल रोक लगाने और उच्चस्तरीय जांच की मांग की। आरोप है कि सीईओ ने अगले वर्ष व्यापक वृक्षारोपण कराने का आश्वासन दिया, लेकिन जांच की मांग पर सहमति नहीं जताई। इसी दौरान विवाद बढ़ गया और सीईओ दिव्यांशु चौधरी ने रूदेश परस्ते पर गाली-गलौज करने का आरोप लगाते हुए थाने में एफआईआर दर्ज करा दी।
एफआईआर दर्ज होने के बाद मामला और तूल पकड़ गया है। जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते अब जिला पंचायत कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं और पूरे प्रकरण की हाई लेवल जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके द्वारा कोई गाली-गलौज नहीं की गई और सच्चाई सामने लाने के लिए जिला पंचायत कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज सार्वजनिक की जानी चाहिए। परस्ते का दावा है कि सीसीटीवी जांच से पूरा सच सामने आ जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने डिंडोरी जिले में प्रशासनिक कार्यप्रणाली और वृक्षारोपण जैसे जनहित के अभियान की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप हैं, तो दूसरी ओर आरोप-प्रत्यारोप और एफआईआर के बीच असल मुद्दा जांच और जवाबदेही से भटकता नजर आ रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन सीसीटीवी फुटेज, शिकायतों और दस्तावेजों के आधार पर निष्पक्ष जांच करता है या यह मामला भी राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान में उलझकर रह जाएगा।
