नई दिल्ली न्यूज़ डेस्क। पंचायत इंडिया न्यूज़
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में शुक्रवार को बताया कि पिछले पांच वर्षों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत देशभर में 4.43 करोड़ जॉब कार्ड हटाए गए हैं।
इसमें सबसे ज्यादा कार्ड बिहार के हटाए गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि कुल हटाए गए जॉब कार्ड में बिहार और उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 44% है।
यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने शुक्रवार को राज्यसभा में सांसद तिरुचि शिवा के सवाल के लिखित जवाब में दी।
मंत्री ने कहा कि जॉब कार्ड हटाने की प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती है। इसका उद्देश्य फर्जी, डुप्लीकेट या गलत प्रविष्टियों वाले कार्ड हटाना है।
इसके अलावा जिन परिवारों ने स्थायी रूप से पलायन कर लिया है, जिन ग्राम पंचायतों का शहरीकरण हो चुका है या जिन परिवारों में जॉब कार्ड का एकमात्र सदस्य मृत्यु को प्राप्त हो चुका है, ऐसे मामलों में भी कार्ड डिलीट किए गए हैं।

25 जनवरी 2025 को SOP जारी की गई
सरकार ने बताया कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए 25 जनवरी 2025 को एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई थी।
सरकार ने कहा कि अगर किसी भी तरह का कन्फ्यूजन होता है इन SOP को देखा जा सकता है।
मनरेगा अब VB G RAM G
शीतकालीन सत्र में संसद से ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-जी राम जी) बिल, 2025’ पास हो गया। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे संसद में पेश किया था।
ये बिल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को रिप्लेस करेगा। नए बिल में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का नया ढांचा तैयार करना है।
इसके तहत काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी।
बिल की धारा 22 के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न 60:40 होगा, जबकि उत्तर पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) के लिए यह 90:10 होगा।
बिल की धारा 6 राज्य सरकारों को एक वित्तीय वर्ष में 60 दिनों की अवधि के लिए, बुवाई और कटाई के मुख्य कृषि मौसमों को कवर करते हुए, पहले से सूचित करने की अनुमति देती है।
