विदिशा जिले की दनवास ग्राम पंचायत में करोड़ों के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप, ग्रामीणों ने कहा- कागजों पर और ज़मीनी हकीकत में अंतर, गोलमोल जवाब देकर मामले को टालते हैं जिम्मेदार अधिकारी!

ब्यूरो रिपोर्ट विदिशा। पंचायत इंडिया न्यूज़

विदिशा। विदिशा जिले में पंचायत स्तर पर खुलेआम हुए करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। यह मामला लटेरी तहसील की ग्राम पंचायत दनवास से जुड़ा है, जहां सड़क, नाली, पेयजल और अन्य आधारभूत सुविधाओं के लिए शासन द्वारा वर्षों में भेजे गए करोड़ों रुपये कागजों में तो खर्च दिखा दिए गए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर गांव की तस्वीर आज भी बदहाल बनी हुई है। आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी दनवास ग्राम पंचायत विकास की बुनियादी सुविधाओं से वंचित नजर आ रही है।

जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत दनवास के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत भारी भरकम बजट स्वीकृत किया गया। कागजी रिकॉर्ड में गांव में नालियों का निर्माण, सीसी सड़कों का निर्माण, पेयजल व्यवस्था और अन्य विकास कार्य पूरे दिखाए गए हैं, लेकिन जब हकीकत सामने आई तो ग्रामीणों के पैरों तले जमीन खिसक गई। गांव के कई हिस्सों में न तो नालियां बनी हैं, न ही सीसी रोड का नामोनिशान है। जिन सड़कों और निर्माण कार्यों पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होने का दावा किया गया, वहां आज भी कच्चे रास्ते और जलभराव ग्रामीणों की मजबूरी बने हुए हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि नाली निर्माण के लिए स्वीकृत राशि निकाल ली गई, लेकिन नालियां आज तक नहीं बनीं। इसी तरह सीसी रोड के नाम पर भी भुगतान कर लिया गया, जबकि मौके पर एक इंच सड़क तक दिखाई नहीं देती। गांव में विकास कार्यों की स्थिति इतनी खराब है कि लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव का विकास पिछले करीब 100 वर्षों से अटका हुआ है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में यहां विकास की गंगा बहती दिखाई जा रही है।

सबसे गंभीर पहलू यह है कि ग्राम पंचायत दनवास में विकास कार्यों के लिए आए करोड़ों रुपये कथित तौर पर कागजों पर ही खर्च कर दिए गए। जब ग्रामीणों द्वारा बजट और खर्च का हिसाब मांगा जाता है, तो पंचायत और संबंधित जिम्मेदार अधिकारी गोलमोल जवाब देकर मामले को टाल देते हैं। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि भ्रष्टाचार की कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस जांच शुरू नहीं की गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार अधिकारी रटा-रटाया जवाब देते हुए कहते हैं कि मामला संज्ञान में है, लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है। न तो मौके पर वास्तविक भौतिक सत्यापन होता है और न ही जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जाती है। इससे भ्रष्टाचार करने वालों के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार ग्राम पंचायत दनवास की कुल आबादी लगभग 1300 है। कागजों में इस छोटे से गांव में विकास के तमाम कार्य पूरे दिखा दिए गए हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि जिन नालियों, सड़कों, गौशालाओं और अन्य संरचनाओं का उल्लेख रिकॉर्ड में है, वे ज़मीन पर कहीं दिखाई नहीं देतीं। गांव में जमीन तो मौजूद है, लेकिन उस पर दिखाए गए विकास कार्य मौके से नदारद हैं।

यह मामला न केवल ग्राम पंचायत दनवास बल्कि पूरे जिले में पंचायत स्तर पर होने वाले कथित भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा, जबकि गांव के लोग विकास की आस में यूं ही इंतजार करते रहेंगे।

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