भोपाल से दीपेश वर्मा की रिपोर्ट। पंचायत इंडिया न्यूज़
भोपाल। मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन की प्रगति को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य मार्च 2027 तक लक्ष्य पूरा कर राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल पेश करेगा. समीक्षा बैठक में उन्होंने पेयजल गुणवत्ता और मिशन संचालन पर कई अहम निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने विशेष जोर दिया कि जल स्रोतों में सीवरेज का दूषित जल किसी भी स्थिति में नहीं मिले और इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाई जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को दिसंबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश इस कार्य को मार्च 2027 तक पूर्ण कर राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल पेश करेगा. मिशन के संचालन-संधारण के लिए मजबूत व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी परिस्थिति में जल आपूर्ति प्रभावित न हो.

सरपंच और महिला समूहों का सम्मान
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों और महिला समूहों को राज्य, संभाग, जिला और ग्राम स्तर पर सम्मानित किया जाए. विगत 10 वर्षों में जिन ग्रामों को जल संकट का सामना करना पड़ा है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर उन क्षेत्रों में जल प्रदाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. जल की उपलब्धता के अनुसार जल वितरण का समय तय किया जाए, जिससे नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. मिशन के प्रभाव का विश्लेषण अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के माध्यम से कराए जाने की बात भी कही. मुख्यमंत्री ने गांव के ऐसे ट्यूबवेल की सूची बनाने को कहा, जिनमें हमेशा पानी रहता हो और ट्यूबवेल मालिक सेवाभावी हों. जरूरत पड़ने पर इनके ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति कराने का प्रयास करें.
जल जीवन मिशन की प्रगति और मॉनिटरिंग
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने मिशन के कार्यों के समुचित संचालन-संधारण के लिए प्रभावी योजना बनाने पर जोर दिया. बैठक में मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव और प्रबंध संचालक जल निगम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री पी. नरहरि ने बताया कि अब तक प्रदेश में 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं और मिशन की कुल प्रगति 72.54 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. वर्ष 2024-25 में 8.19 लाख कनेक्शन का लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा किया गया और वर्ष 2025-26 में अब तक 5.50 लाख कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं.

मध्यप्रदेश बोरवेल दुर्घटना रोकने वाला देश का पहला राज्य बन गया है और “स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान” में प्रदेश को पूरे देश में प्रथम स्थान मिला है. वर्ष 2024-25 में 12,990 करोड़ रुपये का व्यय कर 92.89 प्रतिशत वित्तीय लक्ष्य हासिल किया गया. वर्ष 2025-26 में अब तक 6,016 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है, जो 30 सितंबर 2025 तक 35.11 प्रतिशत की प्रगति दर्शाता है. प्रदेश में 21,552 ग्राम “हर घर जल” घोषित किए जा चुके हैं तथा 15,026 ग्राम प्रमाणित किए गए हैं.
विभाग द्वारा तकनीकी और डिजिटल मॉनिटरिंग को प्राथमिकता दी जा रही है. जल रेखा मोबाइल ऐप के माध्यम से योजनाओं की सतत निगरानी की जा रही है. राज्य की सभी 155 प्रयोगशालाओं को NABL मान्यता प्राप्त हो चुकी है. ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए पंचायत दर्पण पोर्टल के माध्यम से डिजिटल जल कर संग्रह व्यवस्था लागू की गई है. इंदौर में IoT (इंटरनेट ऑफ थिंक्स) आधारित जल आपूर्ति मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया और इसे अन्य जिलों में भी विस्तृत किया जा रहा है.
ऊर्जा प्रबंधन को देखते हुए 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना PPP मॉडल पर स्वीकृत की गई है, जिससे आने वाले 25 वर्षों तक सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होगी. 60 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना की कार्ययोजना भी तैयार की गई है. नागरिकों की सुविधा के लिए जलदर्पण पोर्टल संचालित है और शिकायत निवारण हेतु कॉल सेंटर स्थापित किए गए हैं. अभी 64 ग्रामों में 24×7 जल आपूर्ति पायलट रूप में सफल रही है, जिसे आगे और विस्तृत किया जाएगा.
भविष्य का विजन और ग्रामीण जल उपलब्धता
आगामी तीन वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर तक सुरक्षित नल-जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. जल स्रोतों के संरक्षण, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, डिजिटल प्रबंधन, तकनीकी क्षमता संवर्धन और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. नए ग्राम, बसाहट, विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य संस्थान और महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों में पेयजल सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.
जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को गुणवत्ता युक्त जल उपलब्ध कराना प्राथमिकता है. इसके अलावा, मिशन के संचालन एवं संधारण के लिए समुचित योजना बनाकर किसी भी स्थिति में जल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. विगत 10 वर्षों में जिन गांवों में जल संकट रहा है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर उनमें जल आपूर्ति सुनिश्चित करने की कार्य योजना बनाई जाएगी.
अब तक 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन (FHTC) प्रदान किए गए हैं. जल जीवन मिशन की कुल प्रगति 72.54% है. एकल नलजल योजनाएं दिसम्बर 2025 तक और समूह नलजल योजनाएं मार्च 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, वर्तमान में 93 प्रतिशत प्रगति है. वर्ष 2024-25 में 8.19 लाख कनेक्शन का 100% लक्ष्य पूरा हुआ. वर्ष 2025-26 में अब तक 5.50 लाख कनेक्शन प्रदान किए गए.मध्यप्रदेश बोरवेल में दुर्घटना रोकने हेतु कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य है. “स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान” में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. वर्ष 2024-25 में विभाग ने 12,990 करोड़ रुपये का व्यय कर 92.89% वित्तीय लक्ष्य हासिल किया. वर्ष 2025-26 में 6,016 करोड़ रुपये का व्यय हुआ, जो 30 सितंबर 2025 तक 35.11% प्रगति दर्शाता है. FHTC भौतिक प्रगति के अंतर्गत 2025-26 में 4.56 लाख कनेक्शन (29.06%) उपलब्ध हुए.
